अत्याचार अधिनियम (अध्याय - 5)

अध्याय- 5

प्रकीर्ण
17. सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की राज्या सरकार की शक्ति:-

सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 (1955 का 22) की धारा 10-क के प्रावधान, जहां तक हो सकेगा इस अधिनियम के अधीन सामूहिक जुर्माने के अधिरोपण एवं वसूली के प्रयोजनों के लिए और उससे संबंधित अन्य सभी मामलों को लागू होंगे।

18. कानून और व्यंवस्थास तन्त्र द्वारा किए जाने वाले निवारक कार्य:-

(1) जिला मजिस्ट्रेकट या उपखण्डीनय मजिस्ट्रे ट या अन्यन कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेिट या पुलिस उपाधिक्षक से अनिम्नय श्रेणी का कोई पुलिस अधिकारी, सूचना प्राप्तस होने पर और ऐसी जांच जैसी वह आवश्यअक समझे, करने के बाद उसके पास विश्वाैस करने का कारण है कि उसकी अधिकारिता की स्थावनीय सीमा के अंदर जो अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के भिन्ना व्य क्ति या व्याक्तियों का समूह निवास करता है या बार-बार आना जाना करता है जिसके इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध करने की संभावना है या जिसने अपराध करने की धमकी दी है उसकी राय है कि कार्यवाही करने का पर्याप्ती आधार है, तो वह ऐसे क्षेत्र को अत्यावचार से प्रभावित क्षेत्र घोषित कर सकेगा और शांति और सद्व्यावहार बनाए रखने तथा व्योवस्थार और प्रशांति कायम रखने के लिए आवश्य क कार्यवाही कर सकेगा तथा निवारक कार्य कर सकेगा।
(2) संहित के अध्या य VIII, X और XI के प्रावधान, जहां तक हो सकेगा, उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए लागू होंगे।
(3) राज्यप सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, तरीकों को विनिर्दिष्टज करते हुए एक या अधिक योजनाओं को बना सकेगी, जिसमें उपधारा (1) में निर्दिष्ट अधिकारी अत्यावचारों को रोकने और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्योंर के मध्यं सुरक्षा की भावना को प्रत्या वर्तित करने के लिए ऐसी योजना या योजनओं में विनिर्दिष्ट् समुचित कार्यवाही कर सकेगा।

19. इस अधिनियम के अधीन अपराध कारित करने वाले व्य्क्तियों पर संहिता की धारा 438 लागू नहीं होंगी:-

इस अधिनियम के अधीन अपराध कारित करने वाले अभियोग पर किसी व्यकक्ति की गिरफ्तारी को अंतर्वलित करने वाले किसी मामले के संबंध में संहिता की धारा 438 का कुछ भी लागू नहीं होगा।

20. इस अधिनियम के अधीन अपराध के दोषी व्यंक्ति को संहिता की धारा 360 या अपराधी परीविक्षा अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होंगे:-

संहिता की धारा 360 के प्रावधान और अपराधी परीविक्षा अधिनियम, 1958 (1958 का 20) के प्रावधान इस अधिनियम के अधीन अपराध कारित करने के दोषी पाए गए 18 वर्ष की आयु के उपर के व्योक्तियों पर लागू नहीं होंगे।

21. अधिनियम अन्यक विधियों पर अध्याोरोही होगा:-

इस अधिनियम में जैसा उपबंधित है, उसके सिवाए, इस अधिनियम के उपबंध तत्सधमय प्रव़त्तउ किसी अन्यह विधि में अंतर्विष्ट किसी असंगति के होते हुए भी या ऐसी निधी के अनुसार प्रभावी किसी रूढी या प्रथा या लिखत के होते हुए भी प्रभावी होंगे।

22. अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वतयन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार का कर्तव्यक:-

(1) इस निमित्त केन्द्री्य शासन जो नियम बनाये उनके अध्य1धीन, राज्य् सरकार इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्व यन के लिए ऐसा उपाय करेगी, जैसा की आवश्यभक हो।
(2) विशेष रूप से और पूर्वगामी उपबन्धोंर की व्या्पकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे उपायों के अंतर्गत आएंगे :-
(i) अत्यााचार से प्रपीडित व्यंक्तियों को न्या-य प्राप्तन करने के योग्यक बनाने के लिए विधिक सहायता को शामिल करते हुए उचित सुविधाओं के लिए प्रावधान
(ii) इस अधिनियम के अधीन अपराधों के विचारण ओर अन्वेतषण के दौरान अत्याकचार से पीडित व्याक्तियों सहित गवाहों के यात्रा और पोषण के खर्चे के लिए प्रावधान
(iii) अत्याचचार से पीडित व्‍‍यक्तियों के आर्थिक और सामाजिक पूनर्वास के लिए प्रावधान
(iv) इस अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंयघन के लिए अभियोजनाओं के आरंभ करने और पर्यवेक्षण करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति
(v) ऐसे उचित स्थतलों पर समितियों की स्थालपना जैसे कि राज्यि सरकार, ऐसे उपायों की विनिर्मित या कार्यान्वसयन में सरकार की सहायता करने के लिए आवश्यकक समझे,
(vi) इस अधिनियम के प्रावधानों के अधिक अच्छीथ तरह कार्यान्व यन करने के लिए उपायो को सुझाने की द़ष्टि से इस अधिनियम के प्रावधानों की कार्यशीलता का नियत कालिक सर्वेक्षण करने के लिए प्रावधान।
(vii) क्षेत्रों की पहचान जहां अनूसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर अत्यााचार होने की संभावना हो और ऐसे उपायों का अंगीकार करना जिससे ऐसे सदस्यों की सुरक्षा अभिनिश्चित की जा सके।
(3) केन्द्री य सरकार, उपधारा (1) के अधीन राज्यी सरकार द्वारा अपनाए गए उपायों के समन्वदय के लिए ऐसे कदम उठाएगी जो आवश्य क हो।
(4) केन्द्री य सरकार, प्रत्येीक वर्ष, इस धारा के प्रावधानों के अनुसरण में राज्यय सरकार द्वारा और स्व यं द्वारा किए गए उपायों की रिपोर्ट संसद के प्रत्ये्क सदन के पटल पर रखेगी।

23. सदभावपूर्वक की गई कार्यवाही के लिए संरक्षण:-

इस अधिनियम के अधीन सदभावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के लिए कोई बाद, अभियोजन या अन्यआ विधिक कार्यवाही केन्द्री य सरकार के विरूद्ध या राज्य् सरकार के किसी अधिकारी या प्राधिकारी या किसी अन्यय व्याक्ति के विरूद्ध नहीं होगी।

24. नियम बनाने की शक्ति:-

(1) र्केन्द्री य सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, अधिसूचना द्वारा बना सकेगी।
(2) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्ये क नियम बनाये जाने के पश्चासत् यथाशीघ्र संसद के प्रत्येरक सदन के समक्ष जब यह सत्र में हो, कुल 30 दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पुरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाए या दोनों सदन सहमत हो जाए कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो जैसे भी स्थिति हो वह नियम तत्प श्चाचत् ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावित होगा या निष्‍प्रभावी हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्र्भावी होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्य ता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा।