अत्याचार अधिनियम (अध्याय - 1)

अध्याय- 1

प्रारंभिक
1. संक्षिप्तो नाम, विस्तांर और प्रारंभ :-

(1) इस अधि‍नियम का संक्षिप्ति नाम अनुसूचित जातियॉ और अनुसूचित जनजा‍तियॉ (अत्यांचार-निवारण) अधिनियम, 1989 है।
(2) इसका विस्तार जम्मूं और कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूगर्ण भारत पर है।
(3) यह उस दिनांक को प्रवृत्तू होगा, जिसको केन्द्रीकय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्टह करें ।

2. परिभाषाएं :-

(1) इस अधिनियम में जब तक संदर्भ में अन्य‍था अपेक्षित न हो :-
(क) ''अत्यांचार'' से धारा 3 के अधीन दण्ड:नीय अपराध अभिप्रेत है।
(ख) ''संहिता'' से दण्डय प्रक्रि या संहिता, 1973 (1974 का 2) अभिप्रेत है,
(ग) ''अनुसूचित जतियां और अनुसूचित जनजातियां'' का अर्थ संविधान के अनुच्छेनद 366 के खण्डा (24) और खण्ड3 (25) के अधीन क्रमश: उनको समनुदेशित होगा,
(घ) ''विशेष न्यामयालय'' से धारा 14 में विशेष न्याडयालय के रूप में विनिर्दिष्ट् सत्र न्याशयालय अभिप्रेत है,
(ड.) ''विशेष लोक अभियोजक'' से धारा 15 में विनिर्दिष्ट् अधिवक्ता. या विशेष लोक अभियोजक के रूप में विनिर्दिष्ट5 लोक अभियोजक अभिप्रेत है,
(च) उन सभी शब्दों और पदों के जो इस अधिनियम में प्रयुक्त है किन्तु परिभाषित नहीं है और संहिता या भारतीय दण्डम संहिता (45 सन् 1860) में परिभाषित हैं, वही अर्थ होंगे जो उन्हें संहिता या भारतीय दण्ड8 संहिता में, जैसी भी स्थिति हो क्रमश: समनुदेशित हैं।
(2) किसी अधिनियमित या उसके किसी प्रावधान के लिये इस अधिनियम में किसी निर्देश प्रस्ताकव के लिये इस अधिनियम में किसी निर्देश का अर्थ, उस क्षेत्र के संबंध में जिसमें ऐसी अधिनियमिति या ऐसा प्रावधान प्रवर्तन में नहीं है, तत्सेमान विधि, यदि कोई उस क्षेत्र में प्रवर्तन में हो, के निर्देश के रूप में निकाला जायेगा।