आकस्मिकता योजना

छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (आकस्मिकता योजना) नियम 1995

छत्तीसगढ़ शासन, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम, 1995 के नियम 15 (प्) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित नियम बनाता है, अर्थात्:-

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ:-

(1) ये नियम छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (आकस्मिकता योजना) नियम, 1995 कहलायेंगे,
(2) इनका विस्तार संपूर्ण छत्तीसगढ़ में रहेगा।
(3) ये नियम 1 मार्च 1996 से प्रभावशील होंगे।

2. परिभाषाएं:-

इन नियमों में संदर्भित परिभाषाएं निम्नांकित होंगी:-
(1) ‘‘राज्यशासन’’ से आशय छत्तीसगढ़ शासन से हैं।
(2) ‘‘कलेक्टर’’ या दण्डाधिकारीयों से आशय छत्तीसगढ़ के यथा उल्लेखित जिले के कलेक्टर या जिला दण्डाधिकारी से हैं।
(3) ‘‘अनुसूचित जाति’’ से आशय संविधान के अनुच्छेद 341 में इस राज्य के लिय परिभाषित अनुसूचित जाति से है।
(4) ‘‘आदिवासी’’ या ‘‘अनुसूचित जनजाति’’ से आशय संविधान के अनच्छेद 341 मेंइस राज्य के लिये परिभाषित अनुसूचित जनजाति से है।
(5) ‘‘अधिनियम’’ से आशय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (1989 का 33) से हैं।
(6) ‘‘अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न’’ से अभिप्राय गैर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसी व्यक्ति अथवा समूह द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व्यक्ति अथवा अनुसूचित जात, अनुसूचित जनजाति परिवार को शारीरिक या सांपत्तिक अथवा दोनों प्रकार की हानि पहुंचाने, अपमानित करने, मानसिक पीड़ा पहुंचाने तथा अधिनियम की धारा 3 में दर्शाई गई घटना से है, जो पुलिस थाने में दर्ज हो। अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को हानि पहुँचाने की घटनाएं इस योजनान्तर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न नहीं मानी जाएगी।
(7) ‘‘राहत’’ से अभिप्राय नियम के अधीन अधिकार द्वारा जरूरतमंद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति, जनजाति परिवार के लिये स्वीकृत नगर, आर्थिक सहायता से है, यह किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति नहीं मानी जावेगी और यह अधिकार के रूप में स्वीकृत नहीं की जा सकेगी।
(8) ‘‘आश्रित’’ में इसके व्याकरणिक रूपबेद और सजातीय पदों के साथ पत्नी, बालक चाहे विवाहित हो या अविवाहित, आश्रित माता-पिता, विधवा बहन तथा अत्याचार के पीडि़त पूर्व मृत पुत्र की विधवा और पुत्र, पुत्री सम्मिलित है।
(9) ‘‘परिलक्षित’’ क्षेत्र में ऐसा अभिप्रेत है, जहां राज्य सरकार के पास यह विश्वास का कारण है कि वह अत्याचार हो सकता है या अधिनियम के अधीन किसी अपराध के पुन% होने की आशंका है अथवा ऐसा क्षेत्र अत्याचार अन्मुख है।
(10) ‘‘गैर सरकार संगठन’’ से सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1860 (1860 का 21) या म.प्र. सोसायटी रजिस्ट्रेशन के लिये तम्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित कल्याण संबंधी क्रियाकलापों से लगा हुआ कोई स्वैच्छिक संगठन अभिप्रेत हैं।
(11) ‘‘अनुसूची’’ से तात्पर्य इन नियमांे से उपाबद्ध अनुसूची से है।
(12) %‘‘नियम’’ से आशय छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत गठित विशेष प्रकोष्ठ से है।
(13) ‘‘प्रकोष्ठ’’ से तात्पर्य आदि जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत गठित विशेष प्रकोष्ट से है।
(14) ‘‘जिला अधिकारी’’ से आशय आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी, सहायक आयुक्त/जिला संयोजक से है।
(15) ‘‘धारा’’ से अधिनियम की धारा अभिप्रेत है।

3. उद्देश्य:

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (आकस्मिकता योजना) नियम, 1995 का उद्देश्य ऐसे जरूरतमंद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अथवा अनुसूचित जाति/जनजाति परिवारों को तुरंत सहायता व राहत पहुँचना है, तो सवर्ण वर्ग के किसी व्यक्ति अथवा समूह द्वारा उत्पीडि़त है एवं जो अपनी निर्धनता एवं असहाय अवस्था के कारण संकटापन्न स्थिति में है और जिन्हें तत्संबंधी जरूरत पूरी करने के लिये शासन की किसी योजना से अथवा अन्य किसी स्त्रोत से तुरंत आर्थिक सहायता मिलने की संभावना न हो।

4. पात्रता:

योजनान्तर्गत अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के निम्नांकित सदस्यों/परिवारों को इस नियम के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने की पात्रता रहेगी%-
(1) गैर अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति द्वारा उत्पीड़न के कारण शारीरिक या सांपत्तिक अथवा दोनांे प्रकार की हानि उठाने वाले अनुसूचित जाति/जनजाति व्यक्ति अथवा अनुसूचित जाति/जनजाति परिवार।
(2) गैर अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति द्वारा उत्पीडि़त अनुसूचित जाति/जनजाति का व्यक्ति परिवार।
(3) जिसे विरूद्ध अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 (1) या 3 (2) के अंतर्गत उत्पीड़न किया हो।
(4) यदि बलात्कार के परिणाम स्वरूप महिला की मृत्यु हो जाय तो उस महिला के पति अथवा उत्तराधिकारी।
(5) गैर अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति द्वारा रोजगार से संबंधित उपकरण औजार, मशीनरी आदि नष्ट की गई हो।

5. अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्यों के विरूद्ध अत्याचार की सूचना:

अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्यों के साथ उत्पीड़न की सूचना थाने मं प्राप्त होते ही थाना प्रभारी घटना की सूचना पुलिस अधीक्षक व जिला दण्डाधिकारी, अनुविभागीय दंडाधिकारी को भेजने के साथ-साथ एक प्रति जिला अधिकारी (सहायक आयुक्त/जिला संयोजक) आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को भी भेजेंगे। यदि घटना की सूचना/उत्पीड़न की शिकायत पुलिस अधीक्षक, जिला दंडाधिकारी, अनुविभागीय दण्डाधिकारी या कार्यपालक दंण्डाधिकारी को प्राप्त होती है तो वे थाना प्रभारी को आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजेंगे जो नियमानुसार कार्यवाही करेंगे। पुलिस अधीक्षक घटना/शिकायत की जांच हेतु किसी राजपत्रित पुलिस अधिकारी को भी निर्देशित कर सकेंगे, जो अन्वेषण पश्चात् थाना प्रभारी को एफ.आई.आर. दर्ज करने के निर्देश दे सकेंगे जो प्रतिवेदन की एक प्रति जिला दण्डाधिकारी व सहायक आयुक्त/जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण को भी देंगे।

6. स्थल निरीक्षण:

कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्यों पर अत्याचार या उत्पीड़न की सूचना प्राप्त होते ही अनुविभागीय दण्डाधिकारी या कलेक्टर के निर्देश पर अन्य राजपत्रित अधिकारी स्थल पर निरीक्षक करने के बार उस स्थल पर:-
1. राहत के हकदार पीडि़तों, उनके कुटंुब के सदस्यों और आश्रितों की सूची बनायेंगे।
2. अत्याचार पीडि़तों की संपत्ति की हानि और नुकसान की सीमा की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगे।
3. पीडि़तों को तत्काल सहायता उपलब्ध करने की कार्यवाही करेंगे।
अनुविभागीय दंडाधिकारी/कार्यपालिका दंडाधिकारी विस्तृत प्रतिवेदन राहत के हकदार पीडि़तों, उनके कुटंुब के सदस्यों व आश्रितों की सूची तत्काल जिला दंडाधिकारी को भेजते हुए एक प्रति सहायक आयुक्त/जिला संयोजक आदिम जाति व अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को भेजेंगे।

7. राहत व सहायता:

जिला दंडाधिकारी द्वारा विस्तृत प्रतिवेदन प्राप्त होते ही तत्काल विभिन्न अत्याचारों के लिए पीडि़त व्यक्तियों, उनके परिवार या आश्रितों को निम्नानुसार सहायता/राहत दी जायेगी। सहायता राशि जहाँ 10,000/- से अधिक है वहां आवश्यकतानुसार अधिकतम 10,000/- की राशि रूपयें दी जायेगी। तथा शेष राशि पोस्ट आफिस या बैंक की मासिक अथवा राशि किसी डिपाजिट में रखी जायेगी जो पीडि़त व्यक्ति के/मृतक के आश्रितों एवं सहायक आयुक्त/जिला संयोजन के संयुक्त हस्ताक्षर से ही आहरित होगी।

नोट%- 15 जून 1999 आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन, भोपाल द्वारा मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) प्राधिकार से प्रकाशित से मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार व्ही.के.सिंह उपसचिव के एक नवीन आदेश जून 1999 के अंतर्गत क्र. एफ 23-23-95-पच्चीस-4- राज्यशासन एतद् द्वारा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार-निवारण) नियम, 1995 के अन्तर्गत आकस्मिकता योजना नियम 1995 के नियम 7 के अनुसार-राशि जहाँ 10,000/- से अधिक है वहां आवश्यकतानुसार अधिकतम 10,000/- की राशि रूपये दी जायेगी। तथा शेष राशि पोस्ट आफिस या बैंक की मासिक अथवा राशि फिक्स डिपाजिट में रखी जायेगी जो पीडि़त व्यक्ति/मृतक के आश्रितों एवं सहायक आयुक्त/जिला संयोजन के संयुक्त हस्ताक्षर से ही आहरित होगी। में से ‘‘पीडि़त व्यक्ति/मृतक के आश्रितों एवं सहायक आयुक्त/जिला संयोजक के संयुक्त हस्ताक्षर से आधारित होगी।’’ की शर्त को विलोपित किया जाता है।

क्र. अपराध का नाम राहत की न्यूनतम राशि
1. 2. 3.
1. अखाद्य या घृणाजनक पदार्थ पीना या खाना (अधिनियम धारा 3 (1)(i)) प्रत्येक पीडि़त की अपराध के स्वरूप और गंभीरता को देखते हुए रू. 25,000/- या उससे अधिक और पीडि़त व्यक्ति द्वारा अनादर, अपमान, क्षति या मानहानि सहने के अनुपात में भी होगा। दिये जाने वाला भुगतान निम्नलिखित होगा:- 1. 25% जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा जाए। 2. 75% जब निचले न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध ठहराया जाए।
2. क्षति पहुँचाना, अपमानित करना या क्षुब्ध करना (अधिनियम धारा 3 (1)(ii))
3. अनादर सूचक कार्य (अधिनियम धारा 3 (1)(iii))
4. सदोष भूमि अभियोग में लेना या उस पर कृषि करना (अधिनियम धारा 3 (1)(iv)) अपराध के स्वरूप और गंभीरता को देखते हुए कम से कम 25,000/- या उससे अधिक भूमि/परिसर जल की आपूर्ति जहां आवश्यकता हो सरकार खर्च पर पुन% वापस की जायेगी। जब आरोप पत्र न्यायालय को भेजा जाए, पूरा भूगतान किया जाए।
5. भूमि, परिसर या जनसंबंधित (अधिनियम धारा 3 (1)(v))
6. बेगार या बालश्रम या बंधुआ मजदूर (अधिनियम धारा 3 (1)(vi)) प्रत्येक पीडि़त व्यक्ति को कम से कम 25,000/- रू. प्रथम सूचना रिपोर्ट की स्टेज पर 25% और 75% निचले न्यायालय में दोष सिद्ध होने पर।
7. मतदान के अधिकार के संबंध में (अधिनियम धारा 3 (1)(vii)) प्रत्येक पीडि़त को 20,000/- रू. जो अपराधि की स्थिति और गंभीरता पर निर्भर है।
8. मिथ्या, द्वेषपूर्ण या तंग करने वाली विधिक कार्यवाही (अधिनियम धारा 3 (1)(viii)) रूपये 25,000/- या वास्तविक विधिक व्यय और क्षति की प्रतिपूर्ति या अभियुक्त के विचारण की समाप्ति के पश्चात् जो भी कम हो।
9. मिथ्या या तुच्छ जानकारी (अधिनियम धारा 3 (1)(ix))
10. अपमान, अभित्रास (अधिनियम धारा 3 (1)(x)) अपराध के स्वरूप पर निर्भर करते हुए पीडि़त व्यक्ति को 25,000/- तक 25% उस समय जब आरोप पत्र न्यायालय को भेजा जाए ओर शेष दोष सिद्ध होने पर।
11. किसी महिला की लज्जा भंग करना (अधिनियम धारा 3 (1)(xi)) अपराध के प्रत्येक पीडि़त को रू. 50,000/- चिकित्सा जांच के पश्चात् 50% का भुगतान किया जाए और शेष 50% का विचारण की समाप्ति पर भुगतान किया जाए।
12. महिला का लैंगिक शोषण (अधिनियम धारा 3 (1)(xii))
13. पानी गन्दा करना (अधिनियम धारा 3 (1)(xiii)) 1,00,000/- रू. तक जब पानी को गंदा कर दिया जाये तो उसे साफ करने सहित या सामान्य सुविधा को पुन% बहाल करने की पूरी लागत उस स्तर पर जिस पर जिला प्रशासन द्वारा ठीक समझा जाए, भुगतान किया जाए।
14. मार्ग के रूढि़जन्य अधिकार से वंचित करना (अधिनियम धारा 3 (1)(xiv)) 1,00,000/- रू. तक या मार्ग के अधिकार को पुन% बहाल करने की पूरी लागत और जो नुकसान हुआ है यदि कोई हो, उसका पूरा प्रतिकर 50% जब आरोप पत्र न्यायालय को भेजा जाए और 50% निचले न्यायालय में दोषसिद्ध होने पर।
15. किसी को निवास स्थान छोड़ने पर मजबूर करना (अधिनियम धारा 3 (1)(xv)) स्थल बहाल करना ठहराने का अधिकारी और प्रत्येक पीडि़त व्यक्ति को 25,000/- का प्रतिकार तथा सरकार के खर्च पर मकान का पुनर्निमाण यदि नष्ट किया गया हो, पूरी लागत का भुगतान जब निचले न्यायालय में आरोप पत्र भेजा जाए।
16. मिथ्या साक्ष्य देना (अधिनियम धारा 3 (2)(i) और (i)) कम से कम 1,00,000/- या उठाये गये नुकसान या हानि का पूरा प्रतिकार 50% का भुगतान जब आरोप पत्र न्यायालय को भेजा जाए और 50% निचले न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध होने पर।
17. भारतीय दंड संहिता के अधीन 10 वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध (अधिनियम धारा 3 (2)(v)) अपराध के स्वरूप और गंभीरता को देखते हुए प्रत्येक पीडि़त व्यक्ति को या उसके आश्रित को कम से कम 50,000/- यदि अनुसूची में विशिष्ट रूप है, अन्यथा प्रावधान किया हुआ हो तो इस राशि में अंतर होगा।
18. किसी लोक सेवक के हाथों उत्पीड़न (अधिनियम धारा 3 (2)(viii)) उठाई गई हानि या नुकसान का पूरा प्रतिकार 50% का भुगतान जब आरोप पत्र न्यायालय में भेजा जाए और 50% का भुगतान जब निचले न्यायालय में दोष सिद्ध हो जाए, किया जाएगा।
19. निर्योग्यता-कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की समय-समय पर यहाँ संशोधित अधिसूचना सं. 4- 2-83 एच.डब्ल्यू 3 तारीख 6-8-1986 में शारीरिक और मानसिक, निर्योग्यताओं का उल्लेख किया गया है।
(क) 100% असमर्थता:
(i) परिवार का न कमाने वाला सदस्य अपराध के प्रत्येक पीडि़त को कम से कम 1,00,000/- रू. 50% प्रथम सूचना रिपोर्ट पर और 25% आरोप पत्र न्यायालय को भेजा जाए और 25% निचले न्यायालय द्वारा दोष सिंद्ध होने पर।
(ii) परिवार का कमाने वाला सदस्य अपराध के प्रत्येक पीडि़त को कम से कम 2,00,000/- रू. 50% प्रथम सूचना रिपोर्ट/चिकित्सा जांच कर भुगतान किया जाए और 25% जब आरोप पत्र न्यायालय को भेजा जाए तथा 25% निचले न्यायालय द्वारा दोष सिंद्ध होने पर।
(ख) जहां असमर्थता 100% से कम है। उपर्युक्त क (i) और (ii) में निर्धारित दरों को उसी अनुपात में कम किया जाएगा, भुगतान के चरण भी वहीं रहेंगे, तथापि न कमाने वाले सदस्य को 15,000/- रू. से कम नहीं और परिवार के कमाने वाले सदस्य को 30,000/- से कम नहीं होगा।
20. हत्या/मृत्यु
(क) परिवार का न कमाने वाला सदस्य
प्रत्येक मामले में कम से कम 1,00,000/- रूपये 75% पोस्टमार्टम के पश्चात् और 25% निचले न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध होने पर।
(ख) परिवार का कमाने वाला सदस्य प्रत्येक मामले में कम से कम 2,00,000/- रूपये 75% पोस्टमार्टम के पश्चात् और 25% निचले न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध होने पर।
21. पूर्णतया नष्ट करना/जला हुआ मकान जहां मकान को जला दिया गया हो या नष्ट कर दिया गया हो, वहां सरकारी खर्च पर ईंट/पत्थर के मकान का निर्माण किया जाएगा या उसकी व्यवस्था की जाएगी। मकान इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत दिया जायेगा।
22. रोजगार से संबंधित साधन/औजार/मशीन तथा बैलगाड़ी, इंजिन, नाव और आदि नष्ट किया जाना। शासकीय व्यय पर नई मशीनरी/औजार साधन उपलब्ध कराया जाएगा। यदि टूट-फूट हुई है तो शासन व्यय पर मरम्मत कराई जाएगी।

नोट- यह नियम लागू होने पर म.प्र. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति राहत योजना 1979 के नियम 7 का उप नियम (क) प्रभावहीन हो जाएगा।

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