आकस्मिकता योजना
छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (आकस्मिकता योजना) नियम 1995
8. अत्याचार से पीडि़त व्यक्ति, उसके आश्रित तथा साक्षियों को यात्रा भत्ता, भरण-पोषण और परिवहन सुविधाएं
(1) यात्रा भत्ता व परिवहन सुविधाएं:
अ. अत्याचार से पीडि़त व्यक्ति, उसके आश्रित और साक्षियो को उसके आवास से अधिनियम के अधीन अपराध के अन्वेषण, सुनवाई या विचारण स्थान तक का एक्सप्रेस/मेल/यात्री ट्रेन में द्वितीय श्रेणी का आने-जाने का रेल भाड़ा अथवा वास्तविक बस का टैक्सी भाड़ा का भुगतान किया जाएगा।
ब. ठहरने के स्थान से अधिनियम के अधीन अपराध के अन्वेषण, सुनवाई या विचारण स्थान तक का वास्तविक टैक्सी भाड़ा का भुगतान किया जाएगा।
स. जिला दंडाधिकारी या अनुविभागीय दंडाधिकारी अथवा कोई अन्य कार्यपालिक दंडाधिकारी द्वारा बुलाये जाने पर भी अत्याचार से पीडि़त व्यक्तियों को और साक्ष्यिों का उपरोक्त भाग (अ) में दर्शाए अनुसार भाड़े का भुगतान किया जाएगा।
द. प्रत्येक महिला साक्षी, अत्याचार से पीडि़त व्यक्ति या उसकी आश्रित महिला या अवयस्क व्यक्ति, 60 वर्ष की आयु से अधिक का व्यक्ति और 40% या उससे अधिक को नि%शक्त व्यक्ति अपनी पसंद का परिचर अपने साथ लाने का हकदार होगा। परिवार को भ इस नियम के अधीन किसी अपराध की सुनवाई, अन्वेषण और विचारण के दौरान बुलाये जाने पर शासकीय अथवा अत्याचार से पीडि़त व्यक्ति को देय यात्रा व्यय का भुगतान किया जाएगा।
(2) भरण-पोषण व्यय:
साक्षी, अत्याचार से पीडि़त व्यक्ति या उसका/उसकी आश्रित तथा परिचर को अपराध के अन्वेषण और विचारण के दौरान उसके आवास से दूर रहने के दिनों के लिए ऐसी दरों पर भरण-पोषण व्यय का भुगतान किया जाएगा, जो उस न्यूनतम मजदूरी से जैसा कि कृषि श्रमिकों के लिए नियम किया गया हो, कम नहीं होगा।
(3) आहार व्यय:
साक्षी, अत्याचार से पीडि़त व्यक्ति अथवा उसका/उसकी आश्रित और परिवार को दैनिक भरण-पोषण व्यय के अतिरिक्त आहार व्यय भी ऐसी दरों पर दिया जाएगा जैसा कि कलेक्टर समय-समय पर नियत करें।
9. चिकित्सा सुविधा:
अधिनियम की धारा 3 के अधीन कोई अपराध किया गया हो, अत्याचार से पीडि़त व्यक्तियों के लिये आवश्यकतानुसार निम्न सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी-
(1) औषधियाँ: जो औषधियाँ शासकीय औषधालय में उपलब्ध नहीं है, क्रय हेतु आवश्यक राशि के भुगतान की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
(2) विशेष परामर्श: यदि स्थानीय शासकीय औषधालय में उपलब्ध चिकित्सकों/विशेषज्ञों के अतिरिक्त अन्य किसी विशेषज्ञ से परामर्श की आवश्यकता हो तो उसका जो भी व्यय होगा, शासन द्वारा भुगतान किया जायेगा। यदि कोई चिकित्सकीय शासकीय औषधारियों में उपलब्ध न हो तो अशासकीय चिकित्सालय, नर्सिंग होम, चिकित्सा केन्द्र आदि में चिकित्सा/जांच/परीक्षण आदि का व्यय शासन द्वारा भुगतान किया जायेगा।
(3) खून की व्यवस्था: यदि खून दिया जाना आवश्यक है व स्थानीय शासकीय चिकित्सालय में खून उपलब्ध न हो और अन्य नर्सिंग होम/ब्लड बैंक से जहां भुगतान देकर खून मिल सकता है, ऐसे भुगतान की प्रतिपूर्ति शासन द्वारा की जायेगी।
(4) वस्त्र, भोजन, फल एवं आवास सुविधा:
1. आवश्यकतानुसार वस्त्र प्रदान किये जा सकेंगे।
2. यदि भोजन हेतु भुगतान की आवश्यकता हो तो भोजन की राशि का भुगतान शासन द्वारा किया जायेगा। इसके अतिरिक्त पीडि़त व्यक्ति जो अस्पताल में भरती है, के सहायक को भी भरण पोषण व भोजन व्यय, जो कलेक्टर निर्धारित करेगा, भुगतान किया जायेगा।
3. अस्पताल में भर्ती पीडि़त व्यक्ति के लिए चिकित्सक द्वारा दर्शाये गये आवश्यक फल, फलों का रस, आदि की राशि का भुगतान शासन द्वारा किया जायेगा।
4. अन्य आवश्यक मानव सुविधाएं: उपरोक्त सुविधाओं के अतिरिक्त अन्य आवश्यक सुविधाएं, जो मानव के लिये आवश्यक हो एवं जो कि चिकित्सक द्वारा अनुशंसित हो तथा जिला दंडाधिकारी द्वारा स्वीकृत हो, भी शासन व्यय पर दी जा सकेगी।
10. पुर्नवास:
पीडि़त व्यक्ति, उसके परिवार, आश्रितों, मृतक के आश्रितों के पुनर्वास हेतु निम्न सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी:-
1. मासिक निर्वाह भत्ता:
(अ) अनुसूचित जाति और जनजाति का मृतक, यदि कमाने वाला है तो उसकी विधवा या एक आश्रित को 1,000/- प्रतिमाह की दस से 6 माह तक निर्वाह भत्ता दिया जावेगा। यदि विधवा आश्रित को नौकरी दे दी जाती है या किसी व्यवसाय में विस्थापित कर दिया जाता है तब सेवा में नियुक्त व्यवसाय हेतु सुविधा उपलब्ध कराने की तिथि से निर्वाह भत्ता बंद कर दिया जावेगा।
(ब) यदि अनुसूचित जाति/जनजाति के किसी सदस्य क फसल नष्ट कर दी गई तो अगली फसल आने तक या अधिकतक 6 माह तक 1,000/- निर्वाह भत्ते के रूप में पीडि़त परिवार को दिया जायेगा। ताकि वह पुन% फसल उगा सके।
(स) यदि मकान जला दिया जाता है तो तीन माह की अवधि तक परिवार के भरण-पोषण हेतु चांवल, गेहूँ आदि कलेक्टर द्वारा निर्धारित मात्रा प्रति व्यक्ति अधिकतम 15 किलो दिया जायेगा, साथ ही बर्तन आदि दिेय जायेगें।
(द) उत्पीड़न के कारण कमाने वाले व्यक्ति को शत् प्रतिशत स्थायी शारीरिक अक्षमता हो पर उपरोक्त (अ) एवं (ब) अनुसार सहायता परिवार को उपलब्ध करायी जायेगी।
2. रोजगार: मृतक की विधवा अथवा उसकी संतानों या आश्रितों में से किसी एक को तीन माह के अंदर शासकीय अथवा जिले के किसी अर्द्धशासकीय/सार्वजनिक संस्थानों में योग्यता के आधार पर भृत्य, लिपिक या सहायक शिक्षक की नौकरी दी जायेगी। कलेक्टर जिले में ही नौकरी निर्धारित समयावधि में दी जाना सुनिश्चित करेंगे। विधवा को नियुक्ति हेतु आयु सीमा में छुट दी जाकर नौकरी दी जायेगी।
3. पेयजल: जहां पेयजल के स्त्रोत नहीं हैं वहां कलेक्टर द्वारा कम से कम पेयजल स्त्रोत की व्यवस्था की जावेगी।
4. कृषि भूमि: यदि पीडि़त परिवार रोजगार का इच्छुक न हो और यदि मृतक/पीडि़त व्यक्ति का परिवार कृषक है एवं कृषि कार्य करना चाहता है और भूमिहीन है तो कलेक्टर 3 माह के अंदर कृषि भूमि की बंटन हेतु उपलब्धता पर भूमि आबंटित करने की व्यवस्था करेंगे। यदि आबंटन हेतु भूमि उपलब्ध नहीं है तो कम से कम दो एकड़ भूमि अधिकतम 5 एकड़ भूमि क्रय कर कलेक्टर द्वारा यािा संभव उपलब्ध करायी जावेगी।
5. बच्चों की शिक्षा: मृतक के 18 वर्ष से कम उम्र के पुत्र पुत्रियों को एक माह के अंदर छात्रावास/आश्रम में प्रवेश दिया जाकर उनकी 18 वर्ष से कम उम्र के पुत्र पुत्रियों को एक माह के अंदर छात्रावास/आश्रम में प्रवेश दिया जाकर उनकी 18 वर्ष की उम्र पूरी होने तक अथवा हायर सेकेण्डरी परीक्षा उत्तीर्ण होने तक शिक्षा की व्यवस्था की जावेगी। ऐसे बालक बालिकाओं को 12 माह की अवधि के लिए शिष्यवृत्ति की पात्रता होगी। इसके अतिरिक्त प्राथमिक स्थल पर 500/- माध्यमिक स्तर पर 700/- हाई स्कूल व हायर सेकेण्डरी स्तर पर 1,000/- प्रतिवर्ष पहनने के कपड़े, जूतें, पुस्तकंे तथा अभ्यास पुस्तिकाओं, स्टेशनरी आदि के लिए दिये जावेंगे।
6. सामाजिक पुनर्वास:
(अ) यदि कोई बलात्कार से पीडि़त अविवाहित महिला से कोई युवक/व्यक्ति शादी करता है तो शादी का व्यय अधिकतम 5,000/- तथा युवक/युवती को स्वरोजगार हेतु 10,000/- की नगद सहायता व बैंक से ऋण उपलब्ध कराया जायेगा।
(ब) यदि मृतक की पत्नी (विधवा) शादी करती है तो शादी का व्यय अधिकतम 5,000/- दिये जायेंगे।
(स) यदि माता पिता दोनांे की हत्या हो जाती है तो पुत्री एवं पुत्रीयों के विवाह के लिये 10,000/- प्रत्येक पुत्री के लिये दिये जायेंगे, किन्तु पिता की हत्या हाने पर केवल 5,000/- दिये जायेंगे।
7. स्वरोजगार: पीडि़त व्यक्ति/परिवार/आश्रितों में से किसी एक को म.प्र. राज्य अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम अथवा म.प्र. आदिवासी वित्त एवं विकास निगम से स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण ऋण व अनुदान की सुविधा दी जाकर 3 माह में व्यवस्थापन किया जाएगा।
8. विकलांग को कृत्रिम अंग हेतु सहायता: उत्पीड़न के कारण विकलांग व्यक्ति को कृत्रित अंग लगाने हेतु आवश्यक राशि सहायता के रूप में उपलब्ध करायी जाएगी।
9. राहत व अन्य सुविधाआं की स्वीकृति:
(अ) राहत: राहत की स्वीकृति निम्न समिति की अनुशंसा पर की जाएगी
1. कलेक्टर/जिला दंडाधिकारी: अध्यक्ष
2. पुलिस अधीक्षक: सदस्य
3. जिला अधिकारी: सदस्य सचिव आ.जा. एवं अनु. जा. कल्याण
(सहायक आयुक्त/जिला संयोजक)
समिति की अनुशंसा पर रू. 25,000/- से अधिक की राहत कलेक्टर द्वारा स्वीकृत की जायेगी। रूपए 25,000/- तक राहत आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के जिला अधिकारी द्वारा उपरोक्त समिति की अनुशंसा पर स्वीकृति की जा सकेगी।
(ब) यात्रा भत्ता, परिवहन, भरण-पोषण, आहार-व्यय, चिकित्सा सुविधा व मासिक निर्वाह भत्त, शिक्षा व सामाजिक पुनर्वास आदि:
यदि व्यय आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के जिला अधिकारी द्वारा स्वीकृत की जाएगी। जहां कलेक्टर द्वारा मात्रादर निर्धारण का उल्लेख है, वहां कलेक्टर द्वारा प्रतिवर्ष दरें निर्धारित की जायेंगी और उन्हीं दरों के अनुसार स्वीकृत की कार्यवाही की जाएगी।
मंडल संयोजक के पास रूपये 1,000/- की राशि स्थायी अग्रिम के रूप में रखी जायेगी, जो तत्काल सहायता हेतु नियम 8 व 9 में दर्शायी सुविधा हेतु व्यय करेंगे। तथा जिला अधिकारी को व्यय व्हाऊचर प्रस्तुत कर राशि प्राप्त करेंगे, ताकि हस समय रू. 1,000/- उपलब्ध रहें।
(स) रोजगार, कृषि भूमि व स्वरोजगार: कलेक्टर द्वारा विभिन्न विभागों से समन्वय कर स्वीकृत करेंगे:
1. रोजगार: रोजगार की व्यवस्था आदिम जाति व अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में या अन्य विभाग में कलेक्टर द्वारा किया जायेगा।
2. कृषि भूमि: कृषि भूमि राजस्व विभाग से कलेक्टर द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी।
3. स्वरोजगार: स्वरोजगार हेतु कलेक्टर विभिन्न निकायों से व्यवस्था करवायेंगे।
4. पेयजल: पेयजल की व्यवस्था हेतु विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत उपलब्ध प्रावधानों से कलेक्टर स्वीकृत कर व्यवस्था करवायेंगे।
11. प्रचार-प्रसार व जनजागरण:
प्रचार-प्रसार व जनजागरण हेतु निम्न कार्यवाही कलेक्टर द्वारा की जाएगी।
(अ) जागृति केन्द्रांे की स्थापना: ऐसे क्षेत्रों/पंचायत/पंचायतों के समूहों में, जहां पूर्व में उत्पीड़न हो चुका हैं, जिला दंडाधिकारी द्वारा जागृत केन्द्र की स्थापना की जाएगी। जिसके लिए पंचायत और स्वयं सेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा व स्थानीय स्वयं सेवकों को भी प्रचार-प्रसार व जनजागरण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
(ब) जनजागरण शिविरों का आयोजन: परिलक्षित क्षेत्रों व जहां भी जिला दंडाधिकारी आवश्यक समझे, जनजागरण शिविरों का आयोजन किया जाएगा। ऐसे शिविरों के आयोजन हेतु जनसहयोग एवं स्वयं सेवी संस्थाओं का सहयोग भी लिया जा सकेगा। जनजागरण शिविरों के आयोजन का कार्य जागृति केन्द्रों को सौंपा जा सकता है। प्रत्येक शिविर के आयोजन हेतु आवश्यक राशि अधिकतम रूपये 5,000/- उपलब्ध करायी जा सकेगी।
(स) अनुशासकीय संस्थाओं की भागीदारी: परिलक्षित क्षेत्रों व अन्य क्षेत्रों में कार्यशालाएं आयोजित करने तथा जनजागरण हेतु अशासकीय संस्थाओं को आवश्यकतानुसार अनुदान भी दिया जा सकेगा।
(द) शैक्षणिक संस्थाओं में वाद-विवाद एवं लेखन प्रतियोगिताएं:
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 एवं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम, 1995 नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के संबंध में विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों व उच्चतर माध्यमिक शालाओं में प्रत्येक 3 अक्टूबर को वाद-विवाद एवं लेख प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी तथा विजेता व उपविजेता को निम्नानुसार पुरस्कार दिया जाएगा:-
12. वाद विवाद प्रतियोगिता, लेखन प्रतियोगिता:
अ. महाविद्यालय:
1. प्रथम पुरस्कार 150/- 150/-
2. द्वितीय पुरस्कार 100/- 100/-
3. तृतीय पुरस्कार 50/- 50/-
ब. उच्चतर माध्यमिक स्तर:
1. प्रथम पुरस्कार 100/- 100/-
2. द्वितीय पुरस्कार 75/- 75/-
3. तृतीय पुरस्कार 40/- 40/-
उपरोक्त पुरस्कारों के अतिरिक्त महाविद्यालयों को प्रतियोगिता आयोजन हेतु 1,000/- प्रति प्रतियोगिता एवं उच्चतर माध्यमिक शालाओं का रूपये 750/- प्रति प्रतियोगिता के मान से राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
विश्व विद्यालय स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित करने हेतु रूपये 5,000/- की राशि दी जाएगी। विश्वविद्यालय स्तर पर पुरस्कार राशि रूपए 500/-, 300/- एवं 200/- होगी।
य. संयुक्त खेलकूद एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं-परिलक्षित क्षेत्रों में सौहार्द्र भाव विकसित करने हेतु अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य वर्ग के युवकों/युवतियों/महिलाओं के बीच संयुक्त खेल-कूद व सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएगी। इन प्रतियोगिताओं में सभी वर्ग के व्यक्तियों की भागीदारी अवश्य होगी। इस आयोजन के लिए आवश्यकतानुसार राशि उपलब्ध करायी जाएगी।
फ. अन्य साधनों द्वारा प्रचार-प्रसार: जिला कलेक्टर द्वारा अन्य साधनों द्वारा यथा नुक्कड़ नाटकों का आयोजक, साहित्य वितरण, हेंड बिल्स व पोस्टर छपवाकर प्रचार-प्रसार की व्यवस्था की जाएगी। इसके अंतर्गत रेडियों/टेलीविजन आदि द्वारा प्रचार भी किया जा सकेगा।
ह. सेमीनार व विचार गोष्ठी: विश्वविद्यालय स्तर पर सेमीनार व सिम्पोजियम आयोजित किए जाएंगे एवं उसके लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।
13. परिलक्षित में विकास कार्य:
परिलक्षित क्षेत्र, जहाॅ पूर्व में उत्पीड़न की घटनाएं हो चुकी है, में संपर्क मार्ग, शालाएं व प्रत्येक विभाग द्वारा किए जाने वाले विकास कार्य तथा आयोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्राथमिकता दी जाएगी।
14. सतर्कता, सलाहकार एवं अनुश्रवण समिति:
छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम 1995 के नियम 16 व 17 के अंतर्गत गठित राज्य व जिला स्तरीय समिति, छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति नियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन का अनुश्रवण करेगी तथा समय-समय पर सलाह देगी।
इन समितियों के अतिरिक्त संभाग स्तर पर निम्न समिति आकस्मिकता नियमों के क्रियान्वयन का अनुश्रवण करेगी तथा प्रत्येक माह शासन एवं प्रकोष्ठ को विवरण उपलब्ध कराए जाएगा:-
1. | संभागीय आयुक्त | अध्यक्ष |
2. | उप-पुलिस महानिरीक्षक | सदस्य |
3. | संभाग के कलेक्टर्स | सदस्य |
4. | संभाग के पुलिस अधीक्षक | सदस्य |
5. | संभाग के उपसंचालक लोक अभियोजन | सदस्य |
6. | संभागीय उपायुक्त आदिवासी विकास | सदस्य सचिव |
15. वार्षिक प्रतिवेदन:
इन नियमों के अंतर्गत वर्ष में किए गये कार्यों, उपलब्ध कराई गई सहायता आदि का पूर्ण विस्तृत प्रतिवेदन कलेक्टर, द्वारा 31 जनवरी तक विशेष प्रकोष्ठ संचालनालय, अनुसूचित जाति विकास को उपलब्ध कराया जाएगा। यह प्रतिवेदन कलेंडर वर्ष के दौरान किये गए कार्यों के संबंधि होगा।