छ.ग. राज्य अनु.जाति आयोग अधिनियम
आयोग के कृत्य तथा शक्तियाँ
(क) अनुसूचित जातियों के सदस्यों को संविधान के अधीन तथा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन
दिये गये संरक्षण के लिये हितप्रहरी आयोग के रूप में कार्य करें।
(ख) किन्हीं विशिष्ट जातियों, मूलवंशों या जनजातियों या ऐसी जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भागों या
उनमें के यूथों को संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में सम्मिलित करने के लिए कदम उठाने
के लिए राज्य सरकार को सिफारिश करना।
(ग) अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिये बने कार्यक्रमों के समुचित तथा यथा समय कार्यान्वयन की
निगरानी करें तथा राज्य सरकार अथवा किसी अन्य निकाय या प्राधिकरण के कार्यक्रमों के संबंध में, जो
ऐसे कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार हैं, सुधार हेतु सुझाव दें।
(घ) लोक सेवाओं तथा शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिये अनुसूचित जातियों के लिये आरक्षण के संबंध में
सलाह दें।
(ड.) ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करें जो राज्य सरकार द्वारा उसे सौंपें जाएं।
2. आयोग की सलाह साधारणतः राज्य सरकार पर आबद्धकर होगी तथापि जहां सरकार सलाह को स्वीकर नहीं
करती है वहां वह उसके लिये कारण अभिलिखित करेगी।
आयोग की शक्तियाँ
आयोग की धारा 9 की उपधारा (1) के अधीन अपने कृत्यों का पालन करते समय और विशिष्टतया निम्नलिखित विषयों की बाबत् किसी बाद का विचारण करने वाले किसी सिविल न्यायालय की सभी शक्तियाँ होगी, अर्थात् -
(क) राज्य के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समन जारी करना और हाजिर करना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना।
(ख) किसी दस्तावेज को प्रकट करने और पेश करने की अपेक्षा करना।
(ग) शपथ पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना।
(घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतिलिपि की अध्यपेक्षा करना।
(ड.) साक्षियों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिये कमीशन निकालना और
(च) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाए।
वित्त, लेखा ओर संपरीक्षा
(11) 1. राज्य सरकार, विधानसभा द्वारा इस निमित्त विधि द्वारा किए गए सम्यक विनियोग के पश्चात्
आयोग को अनुदानों के रूप में ऐसी धनराशियों का संदाय करेगी जैसा कि राज्य सरकार के अधिनियम के
प्रयोजनों के लिये उपयोग में लाई जाने के लिये उचित समझे।
2. आयोग इस अधिनियम के अधीन कृत्यों का पालन करने के लिए जितनी राशि उचित समझे उतनी राशि का
व्यय कर सकेगा और ऐसी धनराशि को उपधारा (1) में निर्दिष्ट अनुदानों में से सदेय व्यय के रूप में माना
जाएगा।
लेखा तथा संपरीक्षा
(12) 1. आयोग समुचित लेखे और सुसंगत अभिलेख रखेगा तथा लेखाओं का एक वार्षिक विवरण ऐसे प्रारूप में
तैयार करेगा जैसा कि राज्य सरकार द्वारा, विहित किया जाए।
2. आयोग के लेखाओं की संपरीक्षा, महालेखाकार, छत्तीसगढ़ द्वारा ऐसे अन्तरालों पर की जाएगी जो कि उसके
द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाएं और ऐसी संपरीक्षा के संबंध में उपगत कोई भी व्यय आयोग द्वारा महालेखाकार
को संदेय होगा।
वार्षिक रिपोर्ट
(13) 1. आयोग, प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिये ऐसे प्रारूप में तथा ऐसे समय पर जो कि विहित किया जाए,
अपनी वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेगा जिसमें पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान उसके कार्यकलापों का संपूर्ण
विवरण दिया जाएगा और उसकी एक प्रति राज्य सरकार को अग्रेषित करेगा।
वार्षिक रिपोर्ट और संपरीक्षा का विधानसभा के समक्ष रखा जाना
(14) 1. राज्य सरकार, वार्षिक रिपोर्ट को और उसके साथ आयोग द्वारा धारा 9 के अधीन दी गई सलाह पर की
गई कार्यवाई और यदि ऐसी किसी सलाह को स्वीकार नहीं किया गया है तो ऐसे अस्वीकार किये जाने के
कारणों का यदि कोई हो, एक ज्ञापन और संपरीक्षा रिपोर्ट को ऐसी रिपोर्ट के प्राप्त होने के पश्चात् यथाशक्य
शीघ्र, विधानसभा के समक्ष रखवाएगी।
प्रकीर्ण
आयोग के अध्यक्ष, सदस्य, अधिकारी और कर्मचारी लोक सेवक होंगे
(15) 1. आयोग के अध्यक्ष, सदस्य, अधिकारी और कर्मचारी भारतीय दण्ड संहिता 1860 (1860 का सं. 45) की
धारा 21 के अर्थ के अंतर्गत लोक सेवक समझे जाएंगे।
सद्भावनापूर्वक की गई कार्यवाही का संरक्षण
(16) 1. इस अधिनियम के अधीन सद्भावनापूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के लिये कोई
वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही आयोग के किसी सदस्य, अधिकारी या कर्मचारी के विरूद्ध नहीं
होगी।
नियम बनाने की शक्ति
(17) 1. राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिये
नियम बना सकेगी।
2. विशिष्टता तथा पूर्वगामी शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियमों में निम्नलिखित
समस्त विषयों या उसमें से किसी विषय के लिये उपबंध हो सकेंगे, अर्थात्,
(क) धारा 4 की उपधारा (5) के अधीन अध्यक्ष और सदस्यों तथा धारा 5 की उपधारा (2) के अधीन सचिव,
अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को देय वेतन तथा भत्ते और सेवा संबंधी अन्य निबंधन तथा शर्तें।
(ख) धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन यह प्ररूप जिसमं लेखाओं का वार्षिक विवरण तैयार किय जाएगा।
(ग) धारा 13 के अधीन वह प्ररूप जिसमें तथा वह समय जिसके भीतर वार्षिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
(घ) कोई अन्य विषय जिसका विहित किया जाना अपेक्षित है या जो विहित किया जाए।
3. इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम उसके बनाए जाने के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र
विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा।
कठिनाईयों को दूर करने की शक्ति
(18) 1. यदि इस अधिनियम के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उद्भूत होती है तो राज्य सरकार,
राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा ऐसे उपबंध कर सकेगी जो इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न हो
और जो उस कठिनाई को दूर करने के लिए उसे आवश्यक या समीचीन प्रतीत हो। परंतु ऐसा कोई आदेश इस
अधिनियम के प्रारंभ होने की तारीख से दो वर्ष की कालावधि को समाप्ति के पश्चात् नहीं किया जाएगा।
2. इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, उसके लिये जाने के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र, विधानसभा के
पटल पर रखा जाएगा।
निरसन तथा व्यावृत्ति
(19) 1. छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1983 (क्रमांक
31 सन् 1983) एतद् द्वारा निरस्त किया जाता है।
2. ऐसे निरसन के होते हुए भी अनुसूचित जातियों के संबंध में निरस्त अधिनियम के अधीन गठित आयोग
द्वारा की गई किसी भी बात या कार्यवाई या उसकी सिफारिश के अनुसरण में राज्य सरकार द्वारा की गई
किसी बात या कार्यवाई के संबंध में यह समझा जाएगा कि वह इस अधिनियम के तत्स्थानी उपबंधों के
अधीन की गई है।